लेखनी कहानी -30-Apr-2024
शीर्षक - उफ्फ! ये खर्राटे ********** मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ हम तरह-तरह की कहानियों को लिखते हैं क्या और क्यों ऐसे शब्दों के साथ हम जीवन जीते हैं और शब्दों में ही हमारा जीवन बनता और बिगड़ता है। ऐसे ही उफ्फ! ये खर्राटे हम सब जानते हैं कि जीवन में हमारे स्वास्थ्य और शरर की भी जरूरत होती है। और हम सभी जीवन में रात होने पर सोते भी परंतु उफ्फ! ये खर्राटे हम सभी के जीवन में सोने के पश्चात हमें नहीं सुनाई देते जो पास पड़ोस में सो रहा होता है और उन्हें जग जाता है तो उसको यह बहुत बुरे या अच्छे लग सकते हैं आओ हम सभी जीवन में अपने स्वास्थ्य और खर्राटे का इलाज कराते हैं। राकेश अपने परिवार में सबसे छोटा बेटा था और वह सभी कामों को बड़े जोश और उत्साह से करता था। परंतु उसके जीवन में न कोई बहार ना कोई सोच ऐसी थी। बस समय बीतता है और राकेश की भी शादी हो जाती है और राकेश इस लड़की की शादी करता है वह भी बहुत समझदार होती है वैसे तो हम सभी समझदार होते हैं परंतु यहां कहानी का किरदार राकेश जब उसकी शादी होती है तो वह बहुत खुश और मस्त हो जाता है उसे समय बाद उसकी शादी होती है और वह सुहागरात भी मानता है। जैसे ही दुल्हन राशि का घूंघट उठाता है तो वह मुस्कुरा कर को देखकर अपनी नजर नीचे कर लेती है यह देखकर राकेश बहुत खुश होता है और अपनी पत्नी को दुल्हन के रूप में देखकर आज मैं बहुत खुश था। और और वह अपने जीवन को सुखी मानता है। जब राकेश और राशि सोते हैं तब कुछ देर में राशि सो जाती है और उफ्फ! ये खर्राटे राकेश कहते हुए अपने कानों में रुई लगा लेता है और अब उसे राशि सुंदर खूबसूरत की जगह खर्राटों की महारानी लगती है। और राकेश मन ही मन उफ्फ! ये खर्राटे सोच कर अपनी आंखों से सोने का प्रयास करता है। परंतु थककर चूर हो चुकी थी। और राकेश बिस्तर पर इधर-उधर करवट बदल रहा था क्योंकि नई-नई शादी और सुहागरात हो चुकी थी परंतु उसे राशि की खर्राटों का मालूम नहीं था उफ्फ! ये खर्राटे वह सोचता है कि आज तो राशि के खर्राटों से वह सों नहीं पाएगा। राकेश उफ्फ! ये खर्राटे को सुनकर अपने कमरे से बाहर निकाल जाकर बालकनी में बैठ जाता है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Mohammed urooj khan
03-May-2024 01:18 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Babita patel
01-May-2024 07:27 AM
V nice
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Gunjan Kamal
30-Apr-2024 11:44 PM
👌🏻👏🏻🙏🏻
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